अजातशत्रु AJATSHATRU
अजातशत्रु का शाब्दिक अर्थ होता है जिसका कोई शत्रु उत्पन्न न हुआ हो । अजातशत्रु मगध के एक प्रतापी सम्राट थे, कहा जाता है कि अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर सत्ता हासिल की थी। उंन्होने कई राज्यों जैसे अंग, लिच्छवि, वज्जी, कोसल तथा काशी जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की। अजातशत्रु के समय में मगध मध्य भारत का एक बहुत की शक्तिशाली राज्य था, सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार अजातशत्रु ने लगभग 32 वर्षों तक शासन किया और 461 ई.पू. में अपने पुत्र उदयन द्वारा वह मारा गया। वजिरा (या वजिराकुमारी) मगध साम्राज्य की साम्राज्ञी तथा अजातशत्रु की पत्नी और उदायिभद्र की माँ थी।
गंगा और सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र की स्थापना उसी ने की थी। उसका मन्त्री 'वस्सकार' एक कुशल राजनीतिज्ञ था, जिसने लिच्छवियों में फूट डालकर साम्राज्य को विस्तृत किया था। वह मगध का विस्तार पूर्वी राज्यों में लगभग-लगभग कर चुके थे, इसलिए अपना ध्यान उत्तर और पश्चिम पर केंद्रित करते हुए उन्होंने कोसल एवं पश्चिम में काशी तक को अपने राज्य में मिला लिया था।
इसके पश्चात अजातशत्रु के वंश के पांच राजाओं ने मगध पर शासन किया। ऐसा विवरण मिलता है के लगभग सभी ने अपने अपने पिता की हत्या की थी। इसिलए इतिहास में इन्हें पितृहन्ता वंश के नाम से भी जाना जाता है।
ये उन हिन्दू राजाओं में है, जिन्होंने अपने कौशल से न सिर्फ़ शासन किया, बल्कि अपने कीर्तिमानों के लिए इतिहास में दर्ज भी हुए। 461 ई. पू. में अजातशत्रु की मृत्यु हो गयी।
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