Tuesday, March 26, 2019

राजा कृष्णदेव राय जी का जीवन परिचय। Story of Raja Krishnadev rai.

राजा कृष्ण देवराय


राजा कृष्णदेव राय का जन्म 16 फरवरी 1471 ईस्वी को कर्नाटक के हम्पी में हुआ था। उनके पिता का नाम तुलुवा नरसा नायक और माता का नाम नागला देवी था। उनके बड़े भाई का नाम वीर नरसिंह था। नरसा नायक सालुव वंश का एक सेनानायक था। नरसा नायक को सालुव वंश के दूसरे और अंतिम अल्प वयस्क शासक इम्माडि नरसिंह का संरक्षक बनाया गया था। इम्माडि नरसिंह अल्पायु था, इसलिए नरसा नायक ने उचित मौके पर उसे कैद कर लिया और सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अधिकार कर लिया। तुलुवा नरसा नायक ने 1491 में विजयनगर की बागडोर अपने हाथ में ली। यह ऐसा समय था, जब साम्राज्य में इधर-उधर विद्रोही सिर उठा रहे थे। 1503 ई. में नरसा नायक की मृत्यु हो गई। 




बाजीराव की तरह ही कृष्ण देवराय एक अजेय योद्धा एवं उत्कृष्ट युद्ध विद्या विशारद थे। इस महान सम्राट का साम्राज्य अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक भारत के बड़े भूभाग में फैला हुआ था जिसमें आज के कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, गोवा और ओडिशा प्रदेश आते हैं।
महाराजा के राज्य की सीमाएं पूर्व में विशाखापट्टनम, पश्चिम में कोंकण और दक्षिण में भारतीय प्रायद्वीप के अंतिम छोर तक पहुंच गई थीं। हिन्द महासागर में स्थित कुछ द्वीप भी उनका आधिपत्य स्वीकार करते थे। उनके राज्य की राजधानी हम्पी थी। हम्पी के एक और तुंगभद्रा नदी तो दूसरी ओर ग्रेनाइड पत्थरों से बनी प्रकृति की अद्भुत रचना देखते ही बनती है। इसकी गणना दुनिया के महान शहरों में की जाती है। हम्पी मौजूदा कर्नाटक का हिस्सा है।
कृष्णदेव राय के शासनकाल  में विजयनगर साम्राज्य अपने सर्वोच्च  शिखर पर पहुँच गया था। वह एक सक्षम प्रशासक ही नहीं, बल्कि एक महान योद्धा भी थे। कृष्णदेव राय विद्वान, कवि, संगीतकार व एक दयालु राजा थे। कृष्णदेव राय अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे और यहाँ तक कि अपने दुश्मनों का भी सम्मान किया करते थेृ। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान सभी युद्धों में जीत हासिल की थी।

कृष्णदेव, वीर नरसिंह के छोटे भाई थे, जो सुल्वा को पराजित करके सिंहासन पर बैठे थे। कृष्णदेव ने अपने भाई की मदद की और जल्द ही एक सक्षम राजा के रूप में अपनी योग्यता साबित कर दी। कृष्णदेव ने अपने सभी युद्धों में विजयी होकर राज्य को विस्तारित किया। उन्होंने उड़ीसा के राजा और बीजापुर के सुल्तान को भी हराया। कृष्णदेव ने दक्षिण भारत में मुस्लिम प्रभुत्व का अंत करने के लिए बहमनी शासक इस्माइल आदिल शाह को पराजित किया। उनका राज्य पूर्वी भारत कटक से पश्चिमी गोवा तक और दक्षिणी भारतीय महासागर से लेकर उत्तरी रायचूर डोब तक फैला हुआ था।
  एक के बाद एक लगातार हमले कर विदेशी मुस्लिमों ने भारत के उत्तर में अपनी जड़े जमा ली थीं। अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक काफूर को एक बड़ी सेना देकर दक्षिण भारत जीतने के लिए भेजा। 1306 से 1315 ई. तक इसने दक्षिण में भारी विनाश किया। ऐसी विकट परिस्थिति में हरिहर और बुक्का राय नामक दो वीर भाइयों ने 1336 में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की। इन दोनों को बलात् मुसलमान बना लिया गया था; पर माधवाचार्य ने इन्हें वापस हिन्दू धर्म में लाकर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना करायी। लगातार युद्धरत रहने के बाद भी यह राज्य विश्व के सर्वाधिक धनी और शक्तिशाली राज्यों में गिना जाता था। इस राज्य के सबसे प्रतापी राजा हुए कृष्णदेव राय। उनका राज्याभिषेक 8 अगस्त, 1509 को हुआ था। महाराजा कृष्णदेव राय हिन्दू परम्परा का पोषण करने वाले लोकप्रिय सम्राट थे। उन्होंने अपने राज्य में हिन्दू एकता को बढ़ावा दिया। वे स्वयं वैष्णव पन्थ को मानते थे; पर उनके राज्य में सब पन्थों के विद्वानों का आदर होता था। सबको अपने मत के अनुसार पूजा करने की छूट थी। उनके काल में भ्रमण करने आये विदेशी यात्रियों ने अपने वृत्तान्तों में विजयनगर साम्राज्य की भरपूर प्रशंसा की है। इनमें पुर्तगाली यात्री डोमिंगेज पेइज प्रमुख है

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Location: India

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