राजा हरिहर Raja Harihar
राजा हरिहर को विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के लिए जाना जाता है, जिसका खूब विरोध हुआ था। यहां तक कि इस हिन्दू साम्राज्य की स्थापना के बाद से ही इस पर लगातार आक्रमण भी हुए, लेकिन इस साम्राज्य के राजाओं ने इसका कड़ा जवाब दिया। मुग़ल उस भूभाग में अधिक काल तक अपनी विजयपताका फहराने में समर्थ रहे। यही कारण है कि दक्षिणपथ के इतिहास में विजयनगर राज्य को विशेष स्थान दिया गया है।दक्षिण भारत के नरेश मुगल सल्तनत विजयनगर के दक्षिण प्रवाह को रोकने में बहुत असफल रहे।
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना राजा हरिहर प्रथम ने 1336 में की थी। हरिहर प्रथम को ‘दो समुद्रों का अधिपति’ कहा जाता था। अनेगुंडी के स्थान पर इस साम्राज्य का प्रसिद्ध नगर विजयनगर बनाया गया था, जो राज्य की राजधानी थी।बादामी, उदयगिरि एवं गूटी में बेहद शक्तिशाली दुर्ग बनाए गए थे, हरिहर ने होयसल राज्य को अपने राज्य में मिलाकर कदम्ब एवं मदुरा पर विजय प्राप्त की थी।
हरिहरजी के निधन के बाद ईसवी सन् १३५६ से १३७७ तक सम्राट बुक्करायजी ने राज किया । सम्राट बुक्करायजी के सुपुत्र कंपण्णा ने मदुरा के सुलतान के साथ किए घमासान युद्ध में सुलतान मारा गया और दक्षिण भारत बुक्करायजी के साम्राज्य में आ गया । बुक्करायजी एक समर्थ राजा थे । सम्राट बुक्करायजी ने बहमनी सुलतान से दो बार युद्ध किया । मुहम्मद-१ के कार्यकाल में पहला एवं मुजाहिद के कार्यकाल में दूसरा युद्ध किया । उन्होंने गोवा प्रांत को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था । उस समय के मलवार और श्रीलंका के राजाओं ने उनकी सार्वभौमिकता को स्वीकार कर उनसे मित्रवत संबंध रखे ।
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