Monday, April 8, 2019

लक्ष्मी सहगल का जीवन Life of Lakshmi Sahgal

लक्ष्मी सहगल Lakshmi Sahgal




लक्ष्मी सहगल का प्रारंभिक जीवन:

लक्ष्मी सहगल का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी के मालाबार में 24 अक्टूबर 1914 को हुआ था। उनके पिता डा.स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट में वकील और माँ अम्मू स्वामीनाथन समाज सेवक थी। लक्ष्मी सहगल ने चेन्नई मेडिकल कॉलेज से 1937 में MBBS की उपाधि प्राप्त की , उन्होंने अपनी माँ की प्रेरणा से आजाद हिन्द फ़ौज में सेवा करने का निर्णय किया।

लक्ष्मी सहगल का आज़ादहिंद फौज से जुड़ना एवं संघर्ष:

21 अक्टूबर 1945 को आजाद हिन्द फ़ौज के स्थापना दिवस पर उन्होंने जनसभा में भाषण दिया यधपि आजाद हिन्द फ़ौज भंग कर दी गयी है लेकिन उसका उद्देश्य अभी पूरा नही हुआ है। 1940 में अपने पति राव के साथ अनबन होने से वो भारत छोडकर सिंगापुर चली गयी। इसी दौरान उन्होंने आजाद हिन्द फ़ौज में प्रवेश लिया था। 1945 में उनको गिरफ्तार कर भारत भेज दिया गया जब वो आजाद हिन्द फ़ौज की तरफ से बर्मा पहुच गयी थी। जब दिल्ली में आजाद हिन्द फ़ौज के सैनिको पर मुकदमा चल रहा तो लक्ष्मी सहगल ने इसका घोर विरोध किया। अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें वापस लौटने का नोटिस दिया परन्तु वे दिल्ली से बाहर नही आयी। अंग्रेजो ने दूसरा नोटिस दिया तब उनको मजबूरन दिल्ली छोडना पड़ा। प्रतिबन्ध समाप्त होने के बाद वे भारत आयी और आजाद हिन्द फ़ौज के कर्नल सहगल से उन्होंने विवाह किया और वे डा.स्वामीनाथन से लक्ष्मी सहगल हो गयी।

लक्ष्मी सहगल का निजी जीवन:

डॉ. लक्ष्मी ने लाहौर में मार्च 1947 में कर्नल प्रेम कुमार सहगल से विवाह कर लिया और फिर कानपुर आकर बस गईं। बाद में वे सक्रिय राजनीति में भी आयीं और 1971 में मर्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से राज्यसभा की सदस्य बनीं। वे अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की संस्थापक सदस्यों में रहीं। 1998 में उन्हें भारत सरकार द्वारा उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पद्म विभूषण से सम्मनित किया गया। वर्ष 2002 में वाम दलों की ओर से डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के विरुद्ध राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ीं थीं।
विवाह के बाद उन्होंने कामपुर में मेडिकल प्रैक्टिस शुरू की।1952 में लक्ष्मी सहगल ने देहात में डा.सुनन्दा बाई के साथ जाकर काम किया। 1971 में बांग्लादेश युद्ध में उन्होंने कलकत्ता में पीपुल्स रिलीफ पार्टी में शामिल होकर काम किया।

लक्ष्मी सहगल की अंतिम समय एवं मृत्यु:

23 जुलाई 2012 को कानपुर में 97 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया। 1998 में लक्ष्मी सहगल (Lakshmi Sahgal) को पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
उनकी बेटी सुभाषिनी अली 1989 में कानपुर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद भी रहीं. सुभाषिनी अली ने कम्युनिस्ट नेत्री बृन्दा करात की फिल्म अमू में अभिनेत्री का किरदार भी निभाया था। डॉ सहगल के पौत्र और सुभाषिनी अली और मुज़फ्फर अली के पुत्र शाद अली फिल्म निर्माता निर्देशक हैं, जिन्होंने साथिया, बंटी और बबली इत्यादि चर्चित फ़िल्में बनाई हैं।प्रसिद्ध नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई उनकी सगी बहन हैं।

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Location: India

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