Saturday, February 23, 2019

भगवान राम का वंश और कुल। Descendants of Lord Shriram.

भगवान राम का कुल एवं वंश:

क्या कारण है कि इतिहास के पाठ्यक्रम में भगवान राम और उनके कुल का वर्णन नही मिलता। मुगल तानाशाहों के कुल के वंसज को तो हमे पढ़ाया गया हुमायूं, बाबर,अकबर ...
परंतु हमे श्रीरामबीके वंश का वर्णन इतिहास से गायब है।  इसलिए बहुत ही कम लोगो को भगवान राम के वंशज का ज्ञान समान्य लोगो को नही है। यहां पर जानकारी उन्ही की देने की कोशिश है।




भगवान विष्णु ने अपना सातवां अवतार श्रीराम के रूप में दसरथ पुत्र के रूप में लिया था। उनका यह कुल उनके पूर्वज रघु के नाम पर रघुकुल कहा जाता था, तथा उनका वंश उनके पूर्वज इक्षवाकु के नाम पर था। भगवान राम का वंश उनके पूर्वज मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि, निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। इस तरह इक्षवाकु से यह वंश परम्परा चलते-चलते हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर तक पहुँची। इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी। रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन किया गया है:
ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वतमनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।
इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण और बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य से पृथु और पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए। 
भरत के पुत्र असित हुए और असित के पुत्र सगर हुए। सगर अयोध्या के बहुत प्रतापी राजा थे, उन्होंने सातों समुंद्र को खुदवाया था , सगर की दो रानिया थी एक से 60 हजार पुत्र थे जिनको कपिल मुनि ने भस्म कर दिया था। जिनके मोक्ष के लिए गंगा के अवतरण का उपाय करना था।
सगर के दूसरी पत्नी का पुत्र का नाम असमंज था। असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। और अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलवाया था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। तब राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।

रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुए। मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए। अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुए और दशरथ के ये चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं।
लव और कुश, भगवान राम और माता सीता के जुड़वां बच्चे थे। कुश, लव से बड़े थे। नगरवासियों की बातों को सुनकर राम ने सीता को राज्य से निकाल दिया था। तब माता सीता ने महर्षि वाल्मीकि की कुटिया में अपने सुपुत्रों को जन्म दिया था।
महर्षि वाल्मीकि ने ही लव और कुश को सभी शिक्षा दी थी। फिर जब ये कुछ बड़े हुए तो राम ने महल में अश्वमेध यज्ञ करवाया था। इसी यज्ञ के दौरान राम को ज्ञात हुआ कि लव और कुश उन्हीं के पुत्र हैं। लव-कुश के बाद कुश के पुत्र अतिथि राजा बने। मुनि वशिष्ठ के सानिध्य में अतिथि एक कुशल राजा बने। वो बड़े दिल वाले और महान योद्धा थे। अतिथि के बाद उनके पुत्र निषध राजा बने। पुण्डरीक के बाद उनके बेटे क्षेमधन्वा इस वंश के राजा बने। क्षेमधन्वा के बेटे देवताओं की सेना के लीडर थे, इसलिए उनका नाम देवानीक पड़ाराजा देवानीक के बेटे अहीनगु उनके बाद राजा बने। उन्होंने पूरी धरती पर राज किया था। वो इतने अच्छे राजा थे कि उनके दुश्मन भी उन्हें पसंद करते थे। राजा अहीनागु के बाद उनके पुत्र पारियात्र और उनके बाद उनके बेटे आदि राजा बने। रघुवंश के वंशज तो आज भी मौजूद हैं मगर अयोध्या के आखिरी नरेश राजा सुमित्रा माने जाते हैं। 
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Location: India

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