बप्पा रावल Bappa Rawal:
बप्पा रावल एक ऐसा महान भारतीय हिन्दू शासक जिसे भारतीय इतिहास में वो जगह नही मिली जिसके वो हकदार थे क्योंकि इतिहास को बारीकी से पढ़ने वालों को तो शायद पढाया जाता हो परन्तु हमारी पाठ्यक्रम में स्थान नही दिया जाता।
बप्पा रावल मेवाड़ के गुहिल राजवंश के संस्थापक थे। इन्हें सिसोदिया राजवंश भी कहा जाता है जिसमे आगे चल के महान शासक राणा कुम्भा, राणा सांगा और महाराणा प्रताप जैसे वीर और पराक्रमी हुए। पप्पा इनका मूल नाम नही था अपितु एक आदरसूचक शब्द है जो पिता या महान व्यक्ति के लिए स्तेमाल किया जाता है। इन्ही के नाम पर रावलपिंडी नामक सहर है जो अब के पाकिस्तान में है।
बप्पा रावल का अरब और स्लामिक हमलावर से भिडंत:
जब कासिम सिंध से आगे बढ़ा तो अच्छे-अच्छे राजाओं की हालत खराब हो गयी थी. कासिम लगातार हिन्दू औरतों की इज्जत लूट रहा था. बच्चों का कत्लेआम कर रहा था लेकिन कोई भी हिन्दुतानी राजा इसकी टक्कर नहीं ले पा रहा था. तब यह खबर शिव के भक्त और राजस्थान के हिन्दू शेर योद्धा बप्पारावल तक पहुंची तो बप्पा ने कासिम को ऐसा सबक सिखाया कि . सालों तक भारत में कोई विदेशी आक्रमणकारी भारत की तरफ आँख नहीं उठा पाया।
यह एतिहासिक कहानी उन दिनों की है जब भारत पर बाहरी आक्रमणकारी लोगों ने हमला शुरू कर दिया था. अरब और इरान से कई शासक लगातार हिन्दुस्तान पर हमला कर रहे थे. बाहरी इस्लाम लगातार भारत पर लूट के लिए कब्जा कर रहा था. इसी कड़ी में मोहम्मद बिन कासिम भारत आया था और इतिहास बताता है कि इस युवा योद्धा ने सिंध के राजा दाहिर को बुरी तरह से हराया था.
बप्पा रावल गहलौत राजपूत वंश के आठवें शासक थे और उनका बचपन का नाम राजकुमार कलभोज था. मोहम्मद बिन कासिम के अत्याचार की खबर जब बप्पारावल तक पहुंची तो उन्होंने तुरन्त अपनी सेना को इकट्ठा कर युद्ध की तैयारी शुरू कर दी. बाप्पा ने अजमेर और जैसलमेर जैसे छोटे राज्यों को भी अपने साथ मिला लिया और एक बलशाली शक्ति खड़ी की. मोहम्मद बिन कासिम की टक्कर लेना आसान नहीं था. इसके पास लाखों सैनिकों की सेना थी. कई लाख तो इसकी सेना में धोड़े ही थे. राजा दाहिर के पुत्र जयसिंह ने कासिम से डरकर जान बचाते हुए चित्तोड़ में शरण ली थी. कासिम ने चित्तोड़ पर हमला किया और यहाँ भयंकर युद्ध हुआ.इस युद्ध में मोहम्मद बिन कासिम की हार हुई और वो जान बचाकर सिंध भाग गया .